गोवा क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे छोटा और जनसँख्या के हिसाब से दूसरा सबसे छोटा प्रान्त है. पूरी दुनिया में गोवा अपने खूबसूरत समुंदर के किनारों और मशहूर स्थापत्य के लिये जाना जाता है. गोवा की खूबसूरती केवल यहां के सागर तटों तक ही सीमित नहीं है। यहां सेंट फ्रांसिस, ऑफ असीसी, होली स्पिरिट, पिलर सेमिनरी, सालीगांव, रकोल सेमिनरी आदि यहां के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक चर्च है। इसके अतिरिक्त सेंट काजरन चर्च, सेंट आगस्टीन टावर, ननरी ऑफ सेंट मोनिका तथा सेंट एरक्स चर्च भी प्रसिद्ध है। गोवा के पवित्र मंदिर जिनसे श्री कामाक्षी, सप्तकेटेश्वर, श्री शांतादुर्ग, महालसा नारायणी, परनेम का भगवती मंदिर और महालक्ष्मी आदि दर्शनीय है। गोवा के मनभावन बीच की लंबी कतार में पणजी से 16 किलोमीटर दूर कलंगुट बीच, उसके पास बागा बीच, पणजी बीच के निकट मीरामार बीच, जुआरी नदी के मुहाने पर दोनापाउला बीच स्थित है। वहीं इसकी दूसरी दिशा में कोलवा बीच ऐसे ही सागरतटों में से है जहां मानसून के वक्त पर्यटक जरूर आना चाहेंगे। यही नहीं, अगर मौसम साथ दे तो बागाटोर बीच, अंजुना बीच, सिंकेरियन बीच, पालोलेम बीच जैसे अन्य सुंदर सागर तट भी देखे जा सकते हैं।
महाभारत में गोआ का उल्लेख गोपराष्ट्र यानि गाय चरानेवालों के देश के रूप में मिलता है। दक्षिण कोंकण क्षेत्र का उल्लेख गोवाराष्ट्र के रूप में पाया जाता है. संस्कृत के कुछ अन्य पुराने स्त्रोतों में गोआ को गोपकपुरी और गोपकपट्टनकहा गया है जिनका उल्लेख अन्य ग्रंथों के अलावा हरिवंशम और स्कंद पुराण में मिलता है। गोवा को बाद में कहीं कहीं गोअंचलभी कहा गया है। अन्य नामों में गोवे, गोवापुरी, गोपकापाटन, औरगोमंत प्रमुख हैं. टोलेमी ने गोआ का उल्लेख इसवी सन 200 के आस-पास गोउबा के रूप में किया है। अरब के मध्युगीन यात्रियों ने इस क्षेत्र को चंद्रपुर और चंदौर के नाम से इंगित किया है जो मुख्य रूप से एक तटीय शहर था। जिस स्थान का नाम पुर्तगाल के यात्रियों ने गोआ रखा वह आज का छोटा सा समुद्र तटीय शहर गोअ-वेल्हा है। बाद मे उस पूरे क्षेत्र को गोआ कहा जाने लगा जिस पर पुर्तगालियों ने कब्जा किया। दिसम्बर १९६१ में भारतीय फौजों ने इसे आजाद कराया.
जनश्रुति के अनुसार गोआ जिसमें कोंकण क्षेत्र भी शामिल है (और जिसका विस्तार गुजरात से केरल तक बताया जाता है) की रचना भगवान परशुराम ने की थी। कहा जाता है कि परशुराम ने एक यज्ञ के दौरान अपने वाणो की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था और लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोआ में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली, वाणस्थली इत्यादि हैं। उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।
गोआ का क्षेत्रफल ३,७०२ वर्ग किलोमीटर है. गोआ का अक्षाश और देशान्तर क्रमश: 14°53'54" और 73°40'33" E है. गोआ का समुद्र तट १०१ किलोमीटर लम्बा है.पणजी गोवा की राजधानी है। यहां के आधुनिक बाजार भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मांडवी नदी के तट पर बसे इस शहर में शाम के समय सैलानी रिवर क्रूज का आनन्द लेने पहुंचते हैं। मांडवी पर तैरते क्रूज पर संगीत एवं नृत्य के कार्यक्रम में गोवा की संस्कृति की एक झलक देखने को मिलती है।
वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति गोवा को कुछ ऐसा ही अलग, लेकिन अदभुत स्वरूप प्रदान करती है। यह स्थान शांतिप्रिय पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को बहुत भाता है। गोवा एक छोटा-सा राज्य है। यहां छोटे-बड़े लगभग 40 समुद्री तट है। इनमें से कुछ समुद्र तट अंर्तराष्ट्रीय स्तर के हैं। इसी कारण गोवा की विश्व पर्यटन मानचित्र के पटल पर अपनी एक अलग पहचान है। गोवा में पर्यटकों की भीड़ सबसे अधिक गर्मियों के महीनें में होती है। जब यह भीड़ समाप्त हो जाती है तब यहां शुरू होता है ऐसे सैलानियों के आने का सिलसिला जो यहां मानसून का लुत्फ उठाना चाहते हैं।
विकिपीडिया से साभार
1 Comment:
suresh jee aap to chha gaye isme bhee, narayan narayan
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